History Of India: क्या है भारत के इतिहास में पानीपत के युद्ध का महत्व?
पानीपत के युद्ध की घटना भारत के मध्यकालीन इतिहास के अंतर्गत आती हैl पानीपत का पहला युद्ध 21 अप्रैल 1526 को हुआ थाl इस युद्ध का नतीजा यह निकला कि दिल्ली पर लोधी वंश का खात्मा हो गया, जिसके बाद मुगल शासनकाल की शुरुआत हुई थl
भारत के इतिहास में पानीपत के युद्ध का महत्व
भारत के इतिहास में भारत के युद्ध के कुछ मैदान बहुत प्रचलित हैंl इन युद्ध के मैदानों में से पानीपत का मैदान सबसे ऊपर शामिल हैl भारतीय इतिहास में घटित होने वाले तीन युद्धों का बहुत प्रमुख स्थान हैंl भारत के इन युद्धों के बारे में यह भी कहा जाता है कि भारत में इन युद्धों के होने के बाद यहाँ बहुत सारे बदलाव हुए थेl
भारतीय इतिहास में प्रचलित पानीपत का सबसे पहला युद्ध लोदीवंश के अंतिम शासक इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच 21 अप्रैल 1526 में हुआ थाl इस युद्ध के बाद भारत में दिल्ली सल्तनत का अंत हो गया थाl ऐतिहासिक तौर पर भारत में इस युद्ध का बहुत महत्व हैl पानीपत के युद्ध के महत्कात्व का सबसे बड़ा कारण यह है कि इसके बाद भारत में मुगलशासन आरंभ हुआ और यह समय कई तरह के सांस्कृतिक बदलावों के लिए भी उत्तरदायी बनाl
पानीपत के युद्ध के समय था लोधी वंश का शासन
प्राचीनकाल से ही दिल्ली भारत का मुख्य केंद्र रही हैl दिल्ली को उत्तर भारत की सत्ता का केंद्र भी माना जाता थाl 16सदी के शुरुआत तक दिल्ली में लोधीवंश का ही शासन थाl इब्राहिम लोधी अपने पिता सिकंदर लोधी की मौत के बाद वर्ष 1517 में दिल्ली की गद्दी पर बैठ गया थाl
इब्राहिम लोधी की हार की शुरुआत
अफगानी शासक बाबर की दिल्ली के गिरते हुए हालातों की वजह से, उस पर आक्रमण करने की इक्षा प्रबल होती गईl बाबर को अपनी सेना को लेकर 5 जनवरी 1526 को दिल्ली के लिए रवाना हुआl इब्राहिम लोधी ने पहले तो बाबर को रोकने के लिए शेखदार हमीद खां को भेजाl हमीद खां और बाबर के बेटे हुंमायू के बीच 25 फरवरी 1526 को अंबाला में लड़ाई हुई, इस लड़ाई में बाबर के बेटे हुमायूं की जीत हुईl इसके बाद इब्राहिम लोधी की ओर से दौलत खां लोधी को, बाबर की ओर से लड़ रहे मेहंदी ख्वाजा ने अंबाला के पास ही शाहाबाद मारकंडा में हरा दिया थाl
इब्राहिम लोधी और बाबर की सेना में बहुत बड़ा अनुपातिक अंतर
इसके बाद बाबर की सेना और इब्राहिम लोधी के बीच 21 अप्रैल 1526 को पानीपत नामक स्थान में निर्णायक युद्ध हुआl यह युद्ध भारतीय मध्यकालीन इतिहास में पानीपत की प्रथम युद्ध के नाम से प्रचलित हैl इब्राहिम लोधी के पास इस युद्ध में एक विशाल सेना थी, जो बाबर की सेना से कई गुना बड़ी थीl एक अनुमान के अनुसार बाबर के पास जहां केवल 12 से 25 हजार सैनिक ही उपलब्ध थे, वहां इब्राहिम लोधी के पास कम से कम एक से एक लाख दस हजार सैनिक थेl लेकिन इसके बाद बाबर की बेहतर रणनीति और बेहतर हथियारों के आगे लोधी की सेना हार गईl