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रविवार, अप्रैल 20, 2025
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उत्तराखंड: 56 सालों बाद कोलपूड़ी में गूंजेगा शहीद नारायण सिंह का नाम, शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचेगा घर!

उत्तराखंड: 56 सालों बाद कोलपूड़ी में गूंजेगा शहीद नारायण सिंह का नाम, शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचेगा घर!

 

उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले से हैरान कर देने वाली खबर सामने आ रही हैl दरअसल, यहां जिला चमोली के कोलपुड़ी गांव के रहने वाले भारतीय सेना के जवान नारायण सिंह वर्ष 1968 में हिमांचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे की पहाड़ियों में हुए विमान हादसे में लापता हो गए थेl भारतीय सेना के सर्चिल दल द्वारा बर्फ के अन्दर से उनका शव बरामद कर लिया गया है और अब 56 सालों के बाद शहीद का शव उनके घर पहुंचाया जाएगाl

 

उत्तराखंड: शहीद का शव 56 वर्षों के बाद पहुंचेगा घर 

आज से करीब 56 साल पहले वर्ष 1968 में भारतीय वायुसेना का एएन-12 विमान हिमांचल प्रदेश में स्थित रोहतांग दर्रे की पहाड़ियों के मध्य क्रैश हो गया थाl विमान में लगभग 102 लोग सवार थे, जिनके शव अभी तक नहीं मिले हैंl हालांकि, अब करीब 56 सालों के बाद भारतीय सेना के सर्चिंग दल को 4 जवानों के शव रोहतांग दर्रे की पहाड़ियों की बर्फ के भीतर से बरामद हुए हैं।

 

उत्तराखंड: 56 सालों बाद कोलपूड़ी में गूंजेगा शहीद नारायण सिंह का नाम, शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचेगा घर!

 

भारतीय सेना द्वारा बर्फ के अन्दर से बरामद हुए सेना के जवानों के शवों में से एक शव चमोली ज़िले के थराली विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम कोलपुड़ी के रहने वाले शहीद नारायण सिंह का भी हैl शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर आने वाले गुरुवार को उनके परिजनों के अंतिम दर्शन हेतु 56 वर्षों बाद उनके घर पहुंचा दिया जाएगा। शहीद जवान नारायण सिंह के शव का अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ उनके पैतृक घाट पर किया जाएगा।

 

उत्तराखंड के शहीद नारायण सिंह की कहानी  

शहीद नारायण सिंह उत्तराखंड के चमोली जिले के ग्राम कोलपूडी के रहने वाले हैं। बता दें कि कोलपूडी गांव के ग्राम प्रधान जयवीर सिंह हैं, जो कि शहीद नारायण सिंह के भतीजे हैं। जयवीर सिंह ने शहीद नारायण सिंह के विषय में बताते हुए कहा, “मेरे ताऊ नारायण सिंह का विवाह वर्ष 1962 में बसंती देवी हो गया थाl विवाह के समय बसंती देवी की आयु लगभग 9 वर्ष थी। इसके बाद वर्ष 1968 में नारायण सिंह हिमांचल प्रदेश में हुए भीषण विमान हादसे में शहीद हो गए थे।

 

 

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पत्नी को थी शहीद नारायण सिंह के घर लौटने की उम्मीद 

जयवीर सिंह ने आगे कहा, “नारायण सिंह की पत्नी बसंती देवी को पूरी उम्मीद थी कि उनके पति एक दिन वापस घर लौटकर जरूर आएंगेl परन्तु समय बीतता गया और वो नहीं आएl इसी कारण बीतते हुए समय के साथ-साथ परिजनों के बीच नारायण सिंह के वापस आने की उम्मीद भी खत्म होती गई। जिसके बाद परिजनों ने बसंती देवी का विवाह भवान सिंह से करवा दिया। भवान सिंह, शहीद नारायण सिंह के छोटे भाई हैं, जबकी जयवीर सिंह के पिता हैं।

 

अब तक बसंती देवी को नहीं मिली कोई सुविधा 

जयवीर सिंह ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, “भारतीय वायु सेना की ओर से नारायण सिंह के शहीद होने से लेकर अब तक बसंती देवी को किसी भी तरह की कोई सुविधा नहीं मिली।”

जयवीर सिंह के अनुसार, “शहीद नारायण सिंह का पार्थिव शरीर आगामी गुरुवार तक उनके ग्राम कोलपुड़ी तक पहुंच जाएगा। जिसके बाद सैन्य सम्मान के साथ गांव में स्थित उनके पैतृक घाट में शहीद नारायण सिंह का अंतिम संस्कार किया जाएगा।”

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