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केरला में मौत का तांडव: क्या है “दिमाग खाने वाला अमीबा” का राज? जिसका शिकार हुआ केरला राज्य,लोगों को कैसे संक्रमित कर रहा है ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’?

केरला में मौत का तांडव: क्या है “दिमाग खाने वाला अमीबा” का राज? जिसका शिकार हुआ केरला राज्य,लोगों को कैसे संक्रमित कर रहा है ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’?

 

भारत के केरला राज्य में हाल ही में एक अमीबा से होने वाला संक्रमण फ़ैल रहा है, जिसे पीएएम (प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस) के नाम से जाना जाता हैl राज्य के स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इस संक्रमण के पीछे की वजह नेगलेरिया फाउलेरी हैl दूषित पानी में पाए जाने वाले एक मुक्त-जीवित अमीबा की वजह से भी प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) संक्रमण होता है। इसे “दिमाग खाने वाला अमीबा” के नाम से भी जाना जाता हैl

प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) एक मस्तिष्क घातक और एक दुर्लभ संक्रमण हैl प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) एक दुर्लभ बिमारी होने के साथ-साथ एक जानलेवा और मस्तिष्क घातक बिमारी भी हैl इसीलिए इस बीमारी से सतर्क रहना चाहिएl तो चलिए जानते हैं कि आखिर प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) या “दिमाग खाने वाला अमीबा” क्या है?

 

केरला में मौत का तांडव: प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) या “दिमाग खाने वाला अमीबा” क्या है?
स्वास्थ्य अधिकारियों के मुताबिक, पीएएम (प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस) नेगलेरिया फाउलेरी की वजह से होता हैl नेगलेरिया फाउलेरी एकल-कोशिका वाला जीव है और यह मिट्टी व गर्म ताजे पानी में रहता है।
अमीबा मनुष्य की नाक के रास्ते से शरीर में प्रवेश करता है और लोगों को संक्रमित कर देता हैl कहा जाता है कि आमतौर पर जब लोग पानी में तैर रहे होते हैं तो उस दौरान यह अमीबा काफी तेजी के नाक के माध्यम से शरीर में घुस जाता हैl
यदि एक बार अमीबा मानव शरीर के अंदर चला गया तो उसके बाद, यह मानव के मस्तिष्क तक पहुँच जाता हैl इसके कारण मानव मस्तिष्क को काफी गंभीर नुकसान पहुंच सकता है और मस्तिष्क में सूजन हो सकती है। अमीबा गर्म मीठे पानी के वातावरण में पाया जा सकता हैl इसके अलावा यह 46 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में पैदा होता हैl स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार यह अमीबा खराब रखरखाव वाले स्विमिंग पूल, झीलों, स्प्लैश पैड, नदियों, सर्फ पार्क आदि मनोरंजक जल स्थलों पर हो सकता हैl
केरला में मौत का तांडव: कैसे संक्रमित कर रहा है लोगों को ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’?
पीएएम (प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस) या ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ तैराकी जैसी जलीय गतिविधियों के समय नाक के रास्ते से मानव शारीर में प्रवेश करता है और व्यक्ति को संक्रमित कर देता है। मानव शरीर में प्रवेश करने के बाद यह मस्तिष्क में चला जाता हैl मस्तिष्क में पहुंचकर यह मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट कर देता है और मस्तिष्क में सूजन भी पैदा करता है, यही कारण है कि इसे ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ के नाम से पुकारा जाता हैl इस बात पर भी ध्यान रखना आवश्यक है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित नहीं हो सकता है।
केरला में मौत का तांडव: क्या है "दिमाग खाने वाला अमीबा" का राज? जिसका शिकार हुआ केरला राज्य,लोगों को कैसे संक्रमित कर रहा है 'दिमाग खाने वाला अमीबा'?
केरला में मौत का तांडव: प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (पीएएम) या “दिमाग खाने वाला अमीबा” के लक्षण क्या हैं?

“दिमाग खाने वाला अमीबा” बिमारी की शुरुआत में सिरदर्द, मतली, उल्टी और बुखार होता है। इसके बाद जैसे-जैसे यह  संक्रमण और ज्यादा बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे इसके लक्षण गर्दन में अकड़न, दौरे पड़ना, किसी भी चीज का भ्रम पैदा हो जाना, मतिभ्रम होना और अंत में कोमा तक बढ़ सकते हैं।

सीडीसी (अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र) के मुताबिक, पीएएम (प्राथमिक अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस) या ‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ से पीड़ित ज्यादातर लोगों की मृत्यु बीमारी के लक्षण शुरू होने के लगभग 1 से 18 दिनों के अन्दर-अन्दर हो जाती हैl इस बीमारी में आमतौर पर लगभग पांच दिनों के बाद कोमा और मृत्यु हो जाती है।
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